अमेरिका सऊदी अरब में बढ़ाएगा सैन्य मौजूदगी- तैनात करेगा फाइटर जेट और थाड मिसाइल।
ईरान के लिए विशेष अमेरिकी दूत ब्रायन हुक ने विदेश विभाग में संवाददाताओं से कहा, ''आज 3,000 अतिरिक्त सैनिक सऊदी अरब जाएंगे।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : अमेरिका ने सऊदी अरब में अपनी सैन्य मौजूदगी बढाने जा रहा है। अमेरिका ने तेल संयत्रों पर ड्रोन हमलों के कारण ”खतरे की बढ़ती आशंका” के मद्देनजर सऊदी अरब में अतिरिक्त 3,000 सैनिकों को तैनात करने की घोषणा की है। अमेरिका ने इन हमलों के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया है। ईरान के लिए विशेष अमेरिकी दूत ब्रायन हुक ने विदेश विभाग में संवाददाताओं से कहा, ”आज 3,000 अतिरिक्त सैनिक सऊदी अरब जाएंगे।” अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने एक ट्वीट में कहा, ”सऊदी अरब की रक्षात्मक क्षमताओं को बढ़ाने और ईरानी हमले का जवाब देने में मदद करने के लिए अमेरिका वहां अतिरिक्त बलों और सैन्य उपकरण तैनात कर रहा है। पोम्पिओ ने कहा कि ईरानी शासन को ”अपने बर्ताव को बदलना चाहिए या अपनी बर्बाद अर्थव्यवस्था को देखना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस फैसले को इस क्षेत्र के कई देशों ने समर्थन किया है। इससे पहले अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने सऊदी अरब में अतिरिक्त सैन्य बलों की तैनाती को अधिकृत कर दिया था, ताकि देश की रक्षा को बढ़ाया जा सके। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, पेंटागन ने शुक्रवार को एक बयान में कहा था, “नवीनतम रक्षा सुदृढ़ीकरण में दो फाइटर स्क्वाड्रन, एक एयर एक्सपीडिशनरी विंग (एईडब्ल्यू), दो पैट्रियॉट बैटरी और एक टर्मिनल हाई आल्टीट्यूड एरिया डिफेंस सिस्टम (टीएचएएडी) शामिल हैं।” बयान में कहा गया है कि पेंटागन प्रमुख ने शुक्रवार (11 अक्टूबर) को सऊदी क्राउन प्रिंस और रक्षा मंत्री मोहम्मद बिन सलमान को सेना में नई तैनाती के बारे में सूचित किया था, जिसका मकसद सऊदी अरब की रक्षा सुनिश्चित करना और बढ़ाना है। बयान में तैनाती किए जाने वाले सैनिकों की सटीक संख्या का कोई जिक्र नहीं किया गया था। अमेरिका और ईरान के बीच तनाव हाल के महीनों में बढ़ा है, जो क्षेत्र को सैन्य संघर्षों की ओर धकेल रहा है। वॉशिंगटन ने पिछले महीने पूर्वी सऊदी अरब में तेल संयंत्रों पर ड्रोन हमलों के लिए तेहरान को जिम्मेदार ठहराया, जबकि तेहरान ने इस आरोप को सिरे से नकार दिया। सऊदी तट के पास शुक्रवार (11 अक्टूबर) को संभावित मिसाइल हमले में एक ईरानी तेल टैंकर क्षतिग्रस्त हो गया। टैंकर के मालिक ने यह जानकारी दी है। ‘सबीति’ नामक टैंकर-पोत राष्ट्रीय ईरानी टैंकर कंपनी (एन आई टी सी) का था। कंपनी ने कहा कि जेद्दाह बंदरगाह के निकट सबीति के मुख्य भाग पर संभवतः किसी मिसाइल से दो बार हमले किये गए। खबरों में तेल की कीमतों में दो प्रतिशत से अधिक का उछाल बताया गया है जिससे तेल की आपूर्ति को लेकर चिंताएं बढ़ गयी हैं। इस हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने बाजार में संतोषजनक स्थिति रहने के संकेत दिए हैं। यह हमला सऊदी अरब के तेल के दो सबसे बड़े कुँओं पर कुछ हफ्ते पहले हुए हमले के बाद हुआ है। सऊदी के तेल के कुँओं पर हुए हमले के कारण तेल के वैश्विक उत्पादन का 5 प्रतिशत हिस्सा बर्बाद हो गया था। एन आई टी सी ने कहा कि सऊदी तट से 100 किमी दूर स्थित टैंकर पर हमले के कारण दो विस्फोट हुए। कंपनी ने मिसाइल द्वारा हमले की आशंका जताई है। एन आई टी सी ने कहा कि चालक दल के सभी सदस्य सुरक्षित हैं और क्षतिग्रस्त हिस्सों की मरम्मत की जा रही है।ईरान के विदेश मंत्रालय ने सऊदी अरब का नाम न लेते हुए कहा है कि लाल सागर के पूर्व में स्थित गलियारे के निकट किसी स्थान से टैंकर पर हमला हुआ। टैंकर से तेल लीक हो रहा था। मंत्रालय के प्रवक्ता अब्बास मुसावी ने कहा कि पर्यावरण को दूषित करने वाली इस घटना की जिम्मेदारी हमला करने वाले पर है और इस घटना की जाँच जारी है। ईरान के सरकारी टेलीविजन के अनुसार, विस्फोट का कारण आतंकी हमला हो सकता है। इससे पहले खाड़ी में जहाजों पर कई हमले हो चुके हैं। अमेरिका ने ईरान पर ‘माइन द्वारा हमले के आरोप लगाए थे जिन्हें ईरान ने सिरे से ख़ारिज कर दिया था। पूर्व में ईरानी और पश्चिमी देशों के जहाजों पर हमले हो चुके हैं। सऊदी के तेल के मुख्य ठिकानों पर यमन के विद्रोहियों द्वारा ईरान के साथ मिलकर हमले करने के आरोप लग चुके हैं जिन्हें ईरान ने नकार दिया था। इस हमले में वैश्विक तेल उत्पादन का पांच प्रतिशत समाप्त हो गया था। तभी से अमेरिका ने ऑस्ट्रेलिया, बहरीन, ब्रिटेन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के साथ नौसैनिक सहयोग किया है ताकि होर्मुज जलसंधि से गुजरने वाले व्यापारिक जहाजों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। ईरान के साथ सऊदी अरब के संबंध 2016 में खराब हो गए थे। ईरानी टैंकर पर यह हमला पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के ईरान और सऊदी दौरे के पहले हुआ है। खान इस दौरे में ईरान और सऊदी के बीच संबंधों को सुधारने का प्रयास करेंगे। चीन ने सभी पक्षों से इस मुद्दे पर संयम रखने की अपील की है।