हिंदू पक्ष का बयान: बाबर के नाम से ऐतराज है मस्जिद से नहीं।

कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन आवंटित की जाए।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : शनिवार को अयोध्या केस पर सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया। कोर्ट ने 2.77 एकड़ की विवादित जमीन रामलला विराजमान को देने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन आवंटित की जाए। रामलला विराजमान के वकील ने कहा कि बाबर के नाम पर मस्जिद स्वीकार नहीं है, जबकि मुस्लिम पक्षकारों ने फैसले का स्वागत किया। अयोध्या मामले के प्रमुख पक्षकार त्रिलोकी नाथ पांडेय ने कहा- अयोध्या में मस्जिद कहीं बने, हमें एतराज नहीं। बस, हम बाबर के नाम पर मस्जिद का विरोध करते हैं। केंद्र सरकार ट्रस्ट बनाकर मंदिर का निर्माण करवाए, इसमें कोई मतभेद नहीं। असली मकसद मंदिर का निर्माण करवाना है। बाबरी मस्जिद के पक्षकार इकबाल अंसारी ने कहा- कोर्ट का फैसला मान्य है। देशवासी अमन-चैन और सौहार्द बनाए रखें। अब देखना है कि सरकार हमें मस्जिद निर्माण के लिए कहां जगह देती है। फिलहाल, अदालत के इस निर्णय से एक बहुत बड़ा मसला हल हो गया। एक अन्य पक्षकार हाजी महबूब ने कहा- मैं शुरू से कह रहा हूं कि जो भी फैसला होगा हम मानेंगे। निर्मोही अखाड़ा के महंत और प्रमुख पक्षकार महंत दिनेंद्र दास ने कहा- अखाड़े का दावा खारिज होने का कोई अफसोस नहीं क्योंकि, हम भी रामलला का पक्ष ले रहे थे। आगे रिविजन अपील के बारे में अखाड़ा के पंच तय करेंगे। हमें भगवान रामजी के लिए सबकुछ मिल गया। सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के लिए सरकार को पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को मुहैया कराने की बात कही है। इस पर बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि सवाल 5 एकड़ जमीन का नहीं। हम मस्जिद किसी को दे नहीं सकते, मस्जिद को हटाया नहीं जा सकता। जिलानी ने कहा- हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। पूरे मुल्क की आवाम से अपील है कि शांति बनाए रखें। सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में 2.77 एकड़ की विवादित जमीन रामलला विराजमान को देने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन आवंटित की जाए। इसके साथ ही, केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि वह मंदिर निर्माण के लिए तीन माह में ट्रस्ट बनाए।

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