PM Modi ने कृष्ण भक्त मीराबाई की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी, बोले – ‘मीराबाई का जीवन भक्ति और आस्था का अनुपम उदाहरण’

न्यूज़लाइवनाउ – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 नवंबर को मशहूर कृष्ण भक्त मीराबाई की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है. पीएम ने कहा है कि मीराबाई का जीवन निश्छल भक्ति और आस्था का अनुपम उदाहरण है. आज पीएम कृष्ण की नगरी मथुरा जाएंगे.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज गुरुवार को कृष्ण की नगरी मथुरा जाएंगे. यहां ब्रज रज उत्सव में शामिल होने वाले हैं. इस मौक़े पर पीएम संत मीराबाई की 525 वीं जयंती पर डाक टिकट भी जारी करेंगे. लोकसभा चुनाव से पहले अपने इस महत्वपूर्ण दौरे पर PM मोदी मथुरा के मशहूर ब्रज रज उत्सव में भी शामिल होंगे. इसके साथ ही वह कृष्ण भक्त मीरा बाई पर डाक टिकट और स्मारक सिक्का जारी करेंगे.

दौर से पहले उन्होंने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स (पूर्व में ट्विटर पर) लिखा, “संत मीराबाई का जीवन निश्छल भक्ति और आस्था का अनुपम उदाहरण है. भगवान श्री कृष्ण को समर्पित उनके भजन और दोहे आज भी हम सभी के अंतर्मन को श्रद्धा-भाव से भर देते हैं. उनकी 525वीं जयंती पर मथुरा में ‘संत मीराबाई जन्मोत्सव’ का आयोजन हो रहा है. आज शाम करीब 4:30 बजे मुझे भी इससे जुड़े कार्यक्रमों में शामिल होने का सौभाग्य मिलेगा.

हेमा मालिनी नाटक प्रस्तुत करेंगी

न्यूज एजेंसी IANS की रिपोर्ट के मुताबिक प्रशासन की ओर से मिली जानकारी के अनुसार पीएम मोदी शाम 4:30 बजे उत्तर प्रदेश स्थित मथुरा पहुंचेंगे. वह संत मीराबाई की 525 वीं जयंती मनाने के लिए आयोजित कार्यक्रम ‘संत मीराबाई जन्मोत्सव’ में शामिल होंगे. इसके लिए कृष्ण की नगरी में चाक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था की गई है. कार्यक्रम में पीएम, मीराबाई पर एक स्मारक टिकट और सिक्का भी जारी करेंगे. इसके अलावा अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन हुआ है. यह कार्यक्रम संत मीराबाई की स्मृति में पूरे साल चलने वाले कार्यक्रमों की शुरुआत का प्रतीक भी होगा.

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कार्यक्रम में मीराबाई पर बनी पांच मिनट की डॉक्यूमेंट्री दिखाई जाएगी. इसके साथ ही बीजेपी सांसद हेमा मालिनी द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले नृत्य नाटक को भी पीएम देखेंगे. यह प्रधानमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी का चौथा मथुरा दौरा है. मोदी आर्मी हेलीपैड से सीधे रेलवे ग्राउंड पर आयोजित ब्रज रज उत्सव में जाएंगे. राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत उपमुख्यमंत्री और कई मंत्री उनकी अगवानी करेंगे.

सड़क के दोनों तरफ सजावट की गई है. यहां से श्रीकृष्ण जन्मस्थान के रास्ते में दीवारों पर पेंटिंग बनाई गई हैं. चौराहों की सजावट की गई है, वहीं भूतेश्वर तिराहे पर राम मंदिर की कलाकृति लगाई गई है.

मीराबाई की कहानी

मीराबाई का जन्म सन 1498 ई॰ में पाली के कुड़की गांव में दूदा जी के चौथे पुत्र रतन सिंह के घर हुआ। ये बचपन से ही कृष्णभक्ति में रुचि लेने लगी थीं। मीरा का विवाह मेवाड़ के सिसोदिया राज परिवार में हुआ। चित्तौड़गढ़ के महाराजा भोजराज इनके पति थे जो मेवाड़ के महाराणा सांगा के पुत्र थे। विवाह के कुछ समय बाद ही उनके पति का देहान्त हो गया। पति की मृत्यु के बाद उन्हें पति के साथ सती करने का प्रयास किया गया, किन्तु मीरा इसके लिए तैयार नहीं हुईं। मीरा के पति का अंतिम संस्कार चित्तोड़ में मीरा की अनुपस्थिति में हुआ। पति की मृत्यु पर भी मीरा माता ने अपना श्रृंगार नहीं उतारा, क्योंकि वह गिरधर को अपना पति मानती थी।[3]

वे विरक्त हो गईं और साधु-संतों की संगति में हरिकीर्तन करते हुए अपना समय व्यतीत करने लगीं। पति के परलोकवास के बाद इनकी भक्ति दिन-प्रतिदिन बढ़ती गई। ये मंदिरों में जाकर वहाँ मौजूद कृष्णभक्तों के सामने कृष्णजी की मूर्ति के आगे नाचती रहती थीं। मीराबाई का कृष्णभक्ति में नाचना और गाना राज परिवार को अच्छा नहीं लगा। उन्होंने कई बार मीराबाई को विष देकर मारने की कोशिश की। घर वालों के इस प्रकार के व्यवहार से परेशान होकर वह द्वारका और वृन्दावन गई। वह जहाँ जाती थी, वहाँ लोगों का सम्मान मिलता था। लोग उन्हें देवी के जैसा प्यार और सम्मान देते थे। मीरा का समय बहुत बड़ी राजनैतिक उथल-पुथल का समय रहा है। बाबर का हिंदुस्तान पर हमला और प्रसिद्ध खानवा का युद्ध उसी समय हुआ था। इन सभी परिस्थितियों के बीच मीरा का रहस्यवाद और भक्ति की निर्गुण मिश्रित सगुण पद्धति सर्वमान्य बनी।

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