ऑनलाइन फ्रॉड से रहें सावधान, जानिए कैसे रखें अपने पैसें सुरक्षित
माइक्रोसॉफ्ट के टेक सपोर्ट स्कैम सर्वे 2018 के मुताबिक, हैकर या ठग गैंग फोन कॉल के जरिए लोगों से जुड़ते हैं और टेक्निकल सपोर्ट सर्विस का हवाला देकर उनसे बैंकिंग से जुड़ी तमाम जरूरी जानकारियां हासिल कर बैंक खातों से पैसा उड़ा लेते हैं
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : फेस्टिव सीजन शुरू हो चुका है। इस दौरान ई-कॉमर्स कंपनियों के लुभावने ऑफर्स के कारण लोग ऑनलाइन शॉपिंग करना ज्यादा पसंद करते हैं। घर बैठे हो जाने के कारण ऑनलाइन शॉपिंग सुविधाजनक तो होता है, लेकिन इसके साथ ऑनलाइन ठगी के मामले भी बढ़ जाते हैं। टेक कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के एक ताजा सर्वे में यह बात सामने आई है कि ऑनलाइन फ्रॉड के कारण भारत के 68 फीसदी लोगों ने किसी न किसी तरीके से अपनी मेहनत की कमाई ठगों के हाथों गंवा दी है।माइक्रोसॉफ्ट के टेक सपोर्ट स्कैम सर्वे 2018 के मुताबिक, हैकर या ठग गैंग फोन कॉल के जरिए लोगों से जुड़ते हैं और टेक्निकल सपोर्ट सर्विस का हवाला देकर उनसे बैंकिंग से जुड़ी तमाम जरूरी जानकारियां हासिल कर बैंक खातों से पैसा उड़ा लेते हैं। ऑनलाइन फ्रॉड करने वालों का शिकार सिर्फ वही लोग नहीं बनते हैं, जिन्हें ऑनलाइन बैंकिंग और मोबाइल एप्स की कम जानकारी है, बल्कि इंटरनेट सेवी और टेक फ्रेंडली लोग भी अनजाने में इन फ्रॉड के शिकार हो जाते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के करीब 40 फीसदी लोग इस ऑनलाइन स्कैम का शिकार लगभग बन ही गए थे, लेकिन उन्होंने कोई महत्वपूर्ण जानकारी ठगों को नहीं दी, जबकि 28 फीसदी लोगों ने अलर्ट होकर उस ऑनलाइन फ्रॉड से किनारा कर लिया।ऑनलाइन गतिविधियां बढ़ने से ठगी की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। अगर ऑनलाइन पेमेंट के दौरान सेफ वेबसाइट या पेमेंट चैनल नहीं चुनते हैं तो कार्ड से संबंधित जानकारी चुरा कर ठग आपको बड़ी चपत लगा सकते हैं। कई बार ठग लोकप्रिय वेबसाइट के नाम से मिलती-जुलती एक दूसरी साइट बना देते हैं। आप जब उसे ओपन करेंगे, तो शुरुआत में ओरिजनल साइट से अंतर करना मुश्किल हो जाता है। यहां प्रोडक्ट पर दिए गए आकर्षक ऑफर्स में फंसकर ग्राहक ऑनलाइन पेमेंट कर देते हैं या फिर ऑनलाइन शॉपिंग के लिए यूज किए गए आपके बैंक एकाउंट, क्रेडिट कार्ड नंबर, सीवीवी नंबर आदि को ठग धोखे से हासिल कर लेते हैं। इस तरह की ठगी से बचने के लिए यूआरएल ब्राउजर के एड्रेस बार में टाइप करके ही साइट पर जाएं और खरीदारी करें। सिर्फ सुरक्षित वेबसाइट्स पर ही अपने क्रेडिट या डेबिट कार्ड का ब्यौरा दें। सुरक्षित वेबसाइट्स के यूआरएल की शुरुआत https://से होती है, न कि http:// से।यह ऑनलाइन ठगी का नया ट्रेंड है। इसमें ठग आपका एक नकली आइडी प्रूफ लेकर मोबाइल ऑपरेटर के पास जाता है और आपके नाम का डुप्लिकेट सिम कार्ड हासिल कर लेता है। ऑपरेटर आपका ओरिजनल सिम डी-एक्टिवेट कर देता है। इसके बाद ठग आपके फोन के जरिए वन टाइम पासवर्ड बनाता है और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन कर लेता है। इतना ही नहीं, आजकल ठग बैंक जाकर भी किसी और के खाते को अपना बताकर फोन नंबर चेंज करा लेता है, फिर ओटीपी हासिल पर एकाउंट खाली कर देता है। इस तरह की ठगी से बचने के लिए जरूरी है कि किसी भी अनजान व्यक्ति के कहने पर किसी भी नंबर पर मैसेज न करें। किसी के साथ अपने क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड की डिटेल्स शेयर न करें और न ही किसी को ओटीपी बताएं।बिना वजह लंबे समय तक मोबाइल की घंटी न बजे तो सतर्क हो जाएं। इसके अलावा, आजकल फोन कॉल करके कस्टमर का सीवीवी नंबर या ओटीपी जुटाना और फिर पैसे निकाल लेना, इस तरह की घटनाएं पिछले कुछ वक्त में काफी बढ़ गई हैं।
क्या करें आप
ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने से पहले यह ध्यान रखें कि आपका इंटरनेट कनेक्शन पासवर्ड से सुरक्षित हो। साइबर कैफे या फ्री वाई-फाई से इंटरनेट बैंकिंग या ऑनलाइन ट्रांजैक्शन कतई नहीं करना चाहिए। अधिकांश ऑनलाइन बैंकिंग वेबसाइट्स घर से या ऑफिस से एक्सेस की जाती हैं। इसे सुरक्षित बनाने के लिए कंप्यूटर से लॉग-ऑफ करना और कैशे मेमोरी को समय-समय पर क्लियर करना जरूरी होता है।
मत दें बैंकिंग से जुड़ी सूचनाएं
कई बार ठग खुद को बैंक का अधिकारी बताकर कार्ड से जुड़ी सूचनाएं मांगते हैं। जब भी इस तरह की फोन कॉल आएं तो सावधान रहें। ऐसी हर कॉल को संदेह की नजर से देखें और संबंधित व्यक्ति का ब्यौरा दर्ज करके रखें। कार्ड से जुड़ी जानकारी बिल्कुल भी शेयर न करें। शक होने पर टेलीफोन काट कर बैंक से बात करें। इसके साथ जब आप पेट्रोल पंप, रेस्टोरेंट वगैरह में क्रेडिट/डेबिट कार्ड के जरिए भुगतान करते हैं, तो उस समय खुद वहां मौजूद रहें। कई बार लोग कार्ड को भीतर ले जाते हैं। ऐसी स्थिति में कार्ड को क्लोन कर लिए जाने की आशंका रहती है।
मोबाइल से बैंकिंग के टिप्स
- अगर आप मोबाइल से बैंकिंग करते हैं तो पासवर्ड मैनेजर एप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो अलग-अलग पासवर्ड जेनरेट करते हैं।
- डिजिटल वॉलेट और नेटबैंकिंग के लिए एक ही तरह के पासवर्ड का इस्तेमाल न करें।
- ट्रांजैक्शन पूरा होने के बाद डिजिटल वॉलेट से लॉगआउट करें।
- विज्ञापनों के दौरान पॉप-अप होने वाले थर्ड पार्टी एप्स को फोन पर इंस्टॉल न करें।
- डिवाइस चोरी होने की स्थिति में दूर बैठे डाटा डिलीट करने के लिए मोबाइल ट्रैकिंग एक्टिवेट करें।
छोटी बातें, बड़े फायदे
- एटीएम का पिन नियमित रूप से बदलते रहें। साथ ही, अपना पिन किसी से भी साझा न करें।
- यदि कोई व्यक्ति बैंक कर्मचारी बनकर आपके कार्ड का नंबर, सीवीवी, पिन, ओटीपी या अंतिम तिथि आदि के बारे में जानकारी मांगे, तो उससे ऐसी कोई जानकारी हरगिज शेयर न करें।
- कभी भी अपना कार्ड और पिन नंबर साथ में न रखें और न ही कार्ड पर अपना पिन लिखें।
- कार्ड पर मोबाइल अलर्ट एक्टिव करके रखें। अगर कार्ड खो जाए, तो तुरंत बैंक को सूचित करें।
- मशीन में स्वाइप करने के लिए कार्ड कभी भी किसी और के हाथों में न दें। खुद ही स्वाइप करें।
- मोबाइल में कार्ड की फोटो खींचकर न रखें।
- यदि बैंकिंग के लिए अपने फोन में कोई मोबाइल एप इस्तेमाल कर रहे हैं, तो उसे अच्छे एंटीवायरस से सुरक्षित कर लें। कभी भी स्पैम सॉफ्टवेयर एप इंस्टॉल न करें। कार्य पूरा हो जाने के बाद लॉगआउट कर दें।