यासीन मलिक केस -तो ओसामा बिन लादेन को भी बहस का मौका मिलता, यासीन के मामले की सुनवाई के दौरान NIA की कोर्ट में दलील
दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को एनआईए की याचिका पर टेरर फंडिंग के दोषी यासीन मलिक के मामले की सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मलिक की तुलना अलकायदा के मारे जा चुके नेता ओसामा बिन लादेन से की। मेहता ने कहा, ‘अगर ओसामा बिन लादेन भी भारतीय अदालत के सामने होता तो उसे भी बहस करने का उचित मौका मिलता।’
(एन एल एन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को एनआईए की याचिका पर टेरर फंडिंग के दोषी यासीन मलिक के मामले की सुनवाई के दौरान एनआईए की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मलिक की तुलना अलकायदा के मारे जा चुके नेता ओसामा बिन लादेन से की। मेहता ने कहा, ‘अगर ओसामा बिन लादेन भी भारतीय अदालत के सामने होता तो उसे भी बहस करने का उचित मौका मिलता।’ इस पर जस्टिस मृदुल ने कहा कि दोनों के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती, क्योंकि ओसामा ने दुनिया भर में किसी भी अदालत में किसी मुकदमे का सामना नहीं किया। मेहता ने कहा, ‘मुझे लगता है कि अमेरिका सही था। ’ मेहता ही इस बात जस्टिस मृदुल ने आगे कुछ बोलने से इनकार कर दिया और कहा कि अदालतों को विदेशी मामलों से जुड़े मसलों पर टिप्पणी से बचना चाहिए।
दरअसल, यासीन मलिक के खिलाफ यूएपीए कानून के तहत साल 2017 में आकंवादी घटनाओं में शामिल होने, आतंक के लिए पैसे एकत्र करने, आतंकवादी संगठन का सदस्य होने जैसे गंभीर आरोप थे। जिसे उसने चुनौती नहीं देने की बात कहते हुए इन आरोपों को स्वीकार कर लिया था। एनआईए ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका में फांसी की सजा की मांग पर तर्क देते हुए कहा है कि मलिक पिछले 30 वर्षों से अलगाववादी गतिविधियों में शामिल था और हिंसा व आतंकवादी गतिविधियों की कई घटनाओं के लिए जिम्मेदार था।
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